Ravish Kumar backs on Twitter after 5 years with a letter to jailer, #RavishKumar trends on Twitter

In 2015, Ravish Kumar announced on Twitter that he is taking a break from Twitter for a long time, although he remains very active on Facebook and keeps his views on the issues going on in the country.
Today, after a long time, journalist Ravish Kumar returned to the social media platform Twitter and tweeted a letter to jailer on the arrest of journalist Mandeep Punia in which he wrote
डियर जेलर साहब,
भारत का इतिहास इन काले दिनों की अमानत आपको सौंप रहा है। आज़ाद आवाज़ों और सवाल करने वाले पत्रकारों को रात में उनकी पुलिस उठा ले जाती है। दूर दराज़ के इलाकों में FIR कर देती है। इन आवाज़ों को सँभाल कर रखिएगा। अपने बच्चों को व्हाट्स एप चैट में बताइयेगा कि सवाल करने वाला उनकी जेल में रखा गया है। बुरा लग रहा है लेकिन मेरी नौकरी है।जेल भिजवाने वाला कौन है, उसका नाम आपके बच्चे खुद गूगल सर्च कर लेंगे।जो आपके बड़े अफ़सर हैं,IAS और IPS,अपने बच्चों से नज़रें चुराते हुए उन्हें पत्रकार न बनने के लिए कहेंगे। समझाएँगे कि मैं नहीं तो फ़लाँ अंकल तुम्हें जेल में बंद कर देंगे। ऐसा करो तुम गुलाम बनो और जेल से बाहर रहे।
भारत माता देख रही है, गोदी मीडिया के सर पर ताज पहनाया जा रहा है और आज़ाद आवाज़ें जेल भेजी जा रही हैं। डिजिटल मीडिया पर स्वतंत्र पत्रकारों ने अच्छा काम किया है। किसानों ने देखा है कि यू ट्यूब चैनल और फ़ेसबुक लाइव से किसान आंदोलन की ख़बरें गाँव गाँव पहुँची हैं। इन्हें बंद करने के लिए मामूली ग़लतियों और अलग दावों पर FIR किया जा रहा है। आज़ाद आवाज़ की इस जगह पर सबसे बड़े जेलर' की निगाहें हैं। जेलर साहब आप असली जेलर भी नहीं हैं। जेलर तो कोई और है। अगर यही अच्छा है तो इस बजट में प्रधानमंत्री जेल बंदी योजना लाँच हो,मनरेगा से गाँव गाँव जेल बने और बोलने वालों को जेल में डाल दिया जाए। जेल बनाने वाले को भी जेल में डाल दिया जाए। उन जेलों की तरफ़ देखने वाला भी जेल में बंद कर दिया जाए। मुनादी की जाए कि प्रधानमंत्री जेल बंदी योजना लाँच हो गई है। कृपया ख़ामोश रहें।
सवाल करने वाले पत्रकार जेल में रखे जाएँगे तो दो बातें होंगी। जेल से अख़बार निकलेगा और बाहर के अख़बारों में चाटुकार लिखेंगे। विश्व गुरु भारत के लिए यह अच्छी बात नहीं होगी। मेरी गुज़ारिश है कि सिद्धार्थ वरदराजन, राजदीप सरदेसाई, अमित सिंह सहित सभी पत्रकारों के ख़िलाफ़ मामले वापस लिए जाएँ। मनदीप पुनिया को रिहा किया जाए। FIR का खेल बंद हो।
मेरी एक बात नोट कर पर्स में रख लीजिएगा। जिस दिन जनता यह खेल समझ लेगी उस दिन देश के गाँवों में ट्रैक्टरों, बसों और ट्रकों के पीछे ,हवाई जहाज़ों, बुलेट ट्रेन, मंडियों,मेलों, बाज़ारों और पेशाबघरों की दीवारों पर यह बात लिख देगी।

"गुलाम मीडिया के रहते कोई मुल्क आज़ाद नहीं होता है। गोदी मीडिया से आज़ादी से ही नई आज़ादी आएगी।"

After this tweet, Twiple started welcoming Ramon Magsaysay awardee Journalist Ravish kumar, Hence #RavishKumar & Welcome Back started trending on twitter.Ravish Kumar again wrote a tweet :-

No prison is big enough to contain free speech

स्वतंत्र विचारों को कभी बेड़ियों में नहीं जकड़ा जा सकता।बोल की लब आज़ाद हैं तेरे..!

ਹਿੱਕ ਦੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀ ਬੇੜੀ ਅੱਜ ਤਕ ਡੱਕ ਸਕੀ ਹੈ

કોઈ પણ જેલ એટલી મોટી નથી કે મુક્ત વાણી ને રોકી શકે हर भाषा में बलिए। ज़ोर से बलिए।
Delhi Police arrested Mandeep Punia, a freelance journalist, under sections 186, 332 and 353 of IPC for allegedly misbehaving with police and interfering in police duty.

Journalists protested outside police headquarters in Delhi demanding release of freelance journalist Mandeep Punia.